टेंडर निरस्त करने की आड़ में घोटालेबाजों को बचा रही है सरकार: इंद्रदत्त लखनपाल

विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि सुक्खू सरकार द्वारा मार्केटिंग बोर्ड के डिजिटाइजेशन टेंडर को निरस्त कर दिया गया।

Jul 22, 2024 - 13:30
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टेंडर निरस्त करने की आड़ में घोटालेबाजों को बचा रही है सरकार: इंद्रदत्त लखनपाल

अनिल कपलेश। बड़सर

विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि सुक्खू सरकार द्वारा मार्केटिंग बोर्ड के डिजिटाइजेशन टेंडर को निरस्त कर दिया गया। जिससे यह साफ होता है कि घोटाला हुआ था लेकिन विपक्ष के द्वारा आवाज उठाने पर सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। टेंडर निरस्त करने का कारण भी सरकार जीएसटी की अतिरिक्त मांग को बता रही है। जबकि टेंडर अवार्ड होने के अगले दिन ही बोर्ड ने फ़ार्म द्वारा अलग से जीएसटी देने की मांग को भी मान लिया गया था। वित्तीय अनियमितता और नियमों की अनदेखी करके अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए टेंडर को तो निरस्त होना ही था। लेकिन टेंडर को निरस्त करने की आड़ में सरकार घोटाले में शामिल लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है। प्रदेश के लोग मुख्यमंत्री से यह जानना चाहते हैं कि इस टेंडर में गड़बड़ी करने मैं कौन-कौन लोग शामिल हैं? इस टेंडर में गड़बड़ी करने वालों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? पूरे प्रकरण में गड़़बड़ करने वाली लोगों को किसका संरक्षण मिल रहा है? भ्रष्टाचार के मामले में सरकार को ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी और घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ़ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी होगी। सिर्फ टेंडर निरस्त करके सरकार घोटालेबाजों को नहीं बचा सकती है।

विधायक इन्द्रदत लखनपाल ने कहा कि मार्केटिंग बोर्ड में हुआ 7 करोड़ का घोटाला अपने आप में अजीब था। मार्केटिंग बोर्ड के एमडी इस टेंडर को दोबारा से करने की बात फाइल पर बार-बार लिखते रहे और कृषि सचिव एवं मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन ने टेंडर को अवार्ड कर दिया। आश्चर्य यह है कि अवार्ड करने का फैसला भी टेंडर कमेटी के कई सदस्यों और अध्यक्ष की अनुपस्थिति में हुआ। टेंडर अवार्ड करने की पूरी प्रक्रिया में भी राज्य सरकार के स्थापित वित्तीय नियमों की अनदेखी हुई। टेंडर अवार्ड 29 जून, 2024 को हुआ और पहली जुलाई को इस कंपनी ने मार्केटिंग बोर्ड को फिर से रिप्रेजेंट किया कि उनका जीएसटी अलग से दिया जाए। इसे भी एक दिन के भीतर ही मान लिया गया। तीन हफ़्ते बाद अब सरकार ने जीएसटी की माँग का बहाना बनाकर ही टेंडर को निरस्त कर दिया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब जीएसटी अलग से देने की मांग को मानने के बाद उसी आधार पर टेंडर निरस्त करने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी। मुख्यमंत्री यह स्पष्ट करें कि तब यह फ़ैसले कौन ले रहा था?

स्कूली बच्चों के पानी की बोतल घोटाले में किसे फ़ायदा पहुंचाने ख़ातिर बदले नियम

इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि सुक्खू सरकार नें स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले पानी की बोतल में भी घोटाला किया है। अपने चहेतों को 90 करोड़ का टेंडर देने के लिए नियमों में भरपूर बदलाव किए गए। जिससे सरकार की चहेती फर्म को टेंडर मिल जाए। सरकार ने टेंडर जारी होने के बाद टेंडर की सारी शर्तें, बोतल की विशिष्टता, आकार और गुणवत्ता मैं भी पर्याप्त फेरबदल किया। जिससे बोतल की गुणवत्ता मानकों पर भी खरी नहीं उतर पाएगी। स्कूली बच्चों को दी जाने वाली पानी की बोतल देने की योजना में भी सरकार ने ग्रहण लगाया। विपक्ष द्वारा सवाल उठाने पर सरकार ने यह परियोजना स्थगित कर दी। ऐसे में सवाल ये है कि पानी की बोतल देने की योजना में टेंडर की शर्तों में बदलाव क्यों और किसके कहने पर हुआ? मुख्यमंत्री को प्रदेश के लोगों को इस घोटाले की सच्चाई प्रदेश के लोगों के सामने रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ प्रोजेक्ट को रोकने, टेंडर को निरस्त और स्थगित करने से काम नहीं चलेगा। घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी करनी होगी। नहीं तो उंगलियां मुख्यमंत्री पर भी उठेंगी।

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