61 वर्षीय ने रचा इतिहास — 80वीं बार किया रक्तदान, समाज के लिए मिसाल बने राजनेश कुमार
कांगड़ा के चड़ी निवासी 61 वर्षीय राजनेश कुमार ने टांडा मेडिकल कॉलेज में 80वीं बार रक्तदान कर नया कीर्तिमान बनाया। मानवता के लिए उनका समर्पण प्रेरणा बना।
सुमन महाशा। कांगड़ा
कांगड़ा जिला के चड़ी निवासी राजनेश कुमार (61) ने इंसानियत की नई मिसाल पेश की है। उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज (DRPGMC) टांडा में 80वीं बार रक्तदान कर समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया।
1982 से लगातार कर रहे हैं रक्तदान
राजनेश कुमार का रक्त समूह बी निगेटिव (B–) है, जो बेहद दुर्लभ श्रेणी में आता है। उन्होंने सन् 1982 में पहली बार रक्तदान किया था और तब से अब तक बिना रुके नियमित रूप से रक्तदान करते आ रहे हैं।
उनकी इस निरंतर सेवा भावना ने टांडा मेडिकल कॉलेज सहित पूरे हिमाचल को गर्वित किया है।
टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ सम्मान
इस अवसर पर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा और ब्लड सेंटर की प्रभारी डॉ. अंजलि ने राजनेश कुमार को सम्मानित किया।
कॉलेज प्रशासन ने कहा कि उनका योगदान न केवल जरूरतमंद मरीजों के लिए अमूल्य है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए मानवता की जीवंत सीख है।
शरीरदान का भी लिया संकल्प
रक्तदान तक सीमित न रहते हुए राजनेश कुमार और उनकी पत्नी ने अपनी मृत्यु के बाद शरीरदान का संकल्प लिया है, ताकि चिकित्सा शिक्षा और शोध के क्षेत्र में उनका योगदान जारी रहे।
यह कदम न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज को "सेवा ही सर्वोत्तम धर्म" का संदेश भी देता है।
मानवीय सेवा का प्रतीक
राजनेश कुमार वर्तमान में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से जुड़े हुए हैं।
उनकी कहानी यह साबित करती है कि उम्र सेवा के जज़्बे को रोक नहीं सकती — बस मन में दूसरों की मदद करने का भाव होना चाहिए।
निष्कर्ष:
राजनेश कुमार का जीवन समाज के लिए प्रेरणा है। उनका 80वां रक्तदान और शरीरदान का संकल्प मानवता के सच्चे अर्थों को उजागर करता है — “खून का एक कतरा भी जीवन बचा सकता है।”
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