हिमकेयर में खामियां, ऑडिट के आदेश, एडमिट मरीजों में से 92% हो गए हेल्थ कवरेज वाले
आयुष्मान भारत स्कीम से छूट गए गरीबों को हेल्थ कवरेज देने के लिए पूर्व भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई हिमकेयर योजना हिमाचल के खजाने पर भारी पड़ रही है।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
आयुष्मान भारत स्कीम से छूट गए गरीबों को हेल्थ कवरेज देने के लिए पूर्व भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई हिमकेयर योजना हिमाचल के खजाने पर भारी पड़ रही है। स्कीम को लागू करने में कुछ खामियां मिली हैं। इन्हें देखते हुए अब इस स्कीम के ऑडिट के आदेश राज्य सरकार ने दिए हैं। स्वास्थ्य निदेशालय और नेशनल हेल्थ मिशन की संयुक्त टीम अब आईजीएमसी का ऑडिट कर रही है। इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर अगले वित्त वर्ष के लिए हिमकेयर योजना में बदलाव किए जा सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग को इस स्कीम में अब तक जो खामियां मिली हैं, उनमें तीन प्रमुख हैं। आईजीएमसी में दाखिल होकर इलाज करवाने वाले लोगों में से हेल्थ कवरेज वाले मरीज बढक़र 92 फीसदी हो गए हैं। आशंका है कि जिन सरकारी कर्मचारियों को मेडिकल रीइन्बर्समेंट की सुविधा है, उनको भी इस कार्ड की सुविधा बिना चेकिंग के मिल रही है। इसके लिए एक बार हिमकेयर कार्ड की पात्रता को चेक करना जरूरी है। सरकारी अस्पताल फ्री टेस्ट यानी डायग्नोस्टिक सेवाओं के लिए नेशनल हेल्थ मिशन से भी पैसे ले रहे हैं और हिमकेयर स्कीम में भी क्लेम आ रहे हैं।
एक शिकायत यह भी है कि हिमकेयर योजना की कवरेज वाले मरीज और कुछ प्राइवेट अस्पताल अब सिर्फ सिलेक्टिव सर्जरी कर रहे हैं, जबकि इस योजना का मुख्य मकसद अचानक बीमारी में फंसने वाले गरीब परिवारों को निशुल्क इलाज उपलब्ध करवाना था। दूसरी तरफ आयुष्मान स्कीम जो हिमकेयर से पहले शुरू हुई थी,
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