गीता जयंती पर एमसीएम डीएवी कॉलेज में आध्यात्मिक उत्साह उमड़ा

एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। विद्यार्थियों ने गीता के महत्व पर विचार रखे और प्रो. डॉ. अरुणदीप ने गीता दर्शन का विस्तार से वर्णन किया।

Dec 1, 2025 - 20:38
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गीता जयंती पर एमसीएम डीएवी कॉलेज में आध्यात्मिक उत्साह उमड़ा

सुमन महाशा। कांगड़ा

एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में मंगलवार को गीता जयंती श्रद्धा, उत्साह और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम का उद्देश्य युवा पीढ़ी में भारतीय संस्कृति, गीता दर्शन और नैतिक मूल्यों के प्रति रुचि बढ़ाना रहा।

डॉ. अरुणदीप ने गीता का सार समझाया

इस अवसर पर संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अरुणदीप ने विद्यार्थियों को श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व, दर्शन और जीवन में उसके व्यावहारिक उपयोग के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन का अनोखा मार्गदर्शक है, जो व्यक्ति को सही निर्णय लेने, कर्तव्यनिष्ठ रहने और संतुलन बनाए रखने की सीख देती है।

विद्यार्थियों ने साझा किए अपने विचार

कार्यक्रम में छात्रों ने भी गीता के संदेशों को समझते हुए अपने विचार प्रस्तुत किए।

  • ऋतिक ने गीता को जीवन की हर परिस्थिति में मार्गदर्शन देने वाला ग्रंथ बताया और कहा कि इसकी शिक्षाएँ युवाओं को कर्मयोग की प्रेरणा देती हैं।

  • शिवानी ने कहा कि गीता धैर्य, निष्ठा और सत्य के मार्ग पर चलने का पाठ पढ़ाती है और आधुनिक जीवन में भी इसकी प्रासंगिकता उसी प्रकार बनी हुई है।

  • नेहा के अनुसार, गीता धार्मिक ग्रंथ भर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और नैतिक दर्शन है जो सही निर्णय की शक्ति देता है।

  • रिया ने कहा कि आज के तनावपूर्ण जीवन में गीता का संदेश मन को स्थिर, शांत और सकारात्मक बनाए रखने में मदद करता है।

प्रिंसिपल डॉ. बलजीत सिंह पटियाल ने बढ़ाई युवाओं की सराहना

कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. बलजीत सिंह पटियाल ने कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता करने के लिए विद्यार्थियों की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति जागरूक करते हैं और गीता के सिद्धांत आधुनिक जीवन को संतुलित व उद्देश्यपूर्ण बनाते हैं।

उन्होंने गीता के कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग जैसे सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की जोरदार वकालत की और कहा कि गीता बिना फल की चिंता किए कर्म करने का उपदेश देती है, जिससे व्यक्ति आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता प्राप्त करता है।

समापन

कार्यक्रम ने छात्रों में न केवल आध्यात्मिक चेतना जगाई, बल्कि गीता के सार्वभौमिक संदेशों को समझने और जीवन में लागू करने की प्रेरणा भी दी।

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