शाहपुर में शहीद विनोद कुमार गेट का लोकार्पण, बोले केवल पठानिया—यही सच्ची श्रद्धांजलि
शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया ने बंडी में शहीद नायब सुबेदार विनोद कुमार प्रवेश द्वार का लोकार्पण किया। बोले—शहीदों का सम्मान ही सच्ची श्रद्धांजलि है।
विशाल वर्मा। शाहपुर
हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि एक बार फिर अपने शहीदों के सम्मान में नतमस्तक हुई। शाहपुर के विधायक एवं उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने मंगलवार को बंडी गांव में शहीद नायब सुबेदार विनोद कुमार के नाम पर निर्मित प्रवेश द्वार का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शहीदों का मान-सम्मान ही सच्ची श्रद्धांजलि है। शहीदों के नाम को जीवंत रखना और उनके योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है।
🏛️ “शहीद के नाम पर गेट बनवाना मेरा सौभाग्य”—केवल सिंह पठानिया
विधायक पठानिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि वर्षों तक किसी ने भी इस क्षेत्र के शहीद के नाम पर गेट निर्माण की पहल नहीं की।
उन्होंने कहा —
“मेरे लिए यह गर्व की बात है कि शहीद नायब सुबेदार विनोद कुमार जी के नाम पर यह प्रवेश द्वार बनाया गया। यह आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदान की याद दिलाता रहेगा।”
उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इस पंचायत क्षेत्र में लगभग ₹43.50 लाख की राशि विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च की गई है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी आभार जताया कि उन्होंने शहीद गेट के निर्माण हेतु आवश्यक धनराशि प्रदान की।
🪖 शहीद नायब सुबेदार विनोद कुमार का गौरवशाली इतिहास
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नाम: नायब सुबेदार विनोद कुमार
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पिता का नाम: स्व. जैसी राम
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सेवा काल: 14 फरवरी 1980 से
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रेजिमेंट: असम राइफल्स
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शहीदी तिथि: 31 मई 2004
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शहीद स्थल: भारत–म्यांमार सीमा
देश की रक्षा करते हुए उन्होंने दुश्मनों से लोहा लिया और मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया।
👨👩👧 परिजनों और स्थानीय लोगों ने जताया आभार
शहीद के बड़े भाई रवि कुमार ने विधायक पठानिया का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह गेट उनके परिवार के लिए गर्व की बात है।
इस मौके पर शहीद की पत्नी वीना देवी, बेटियां गुलशन व पूजा, पंचायत प्रधान अश्वनी कुमार, कांग्रेस नेता डी.डी. शर्मा, बीडीओ रैत कमलजीत, अधिशासी अभियंता अमित डोगरा, कैप्टन बलिराम, सेवानिवृत्त मेजर कुलदीप सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व अधिकारी उपस्थित रहे।
🕊️ निष्कर्ष
शाहपुर के बंडी गांव में बना यह प्रवेश द्वार न केवल एक स्मारक है, बल्कि यह शहीदों की उस अमर गाथा का प्रतीक है, जो हिमाचल की हर धरा को गर्व से भर देती है।
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