टांडा मेडिकल कॉलेज का खंडन: मरीज की मौत वाली खबर झूठी

टांडा मेडिकल कॉलेज ने मरीज मिलाप चंद की मौत संबंधी खबर का खंडन किया है। अस्पताल ने स्पष्ट किया कि मरीज को मृत घोषित नहीं किया गया था और वह जीवित घर ले जाया गया।

Dec 8, 2025 - 16:16
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टांडा मेडिकल कॉलेज का खंडन: मरीज की मौत वाली खबर झूठी

सुमन महाशा। कांगड़ा
टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सोशल मीडिया और कुछ मीडिया संगठनों द्वारा प्रसारित उस खबर का कड़ा खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि अस्पताल ने एक मरीज को मृत घोषित किया और वह घर पहुंचते ही “जिंदा” हो गया।

कॉलेज प्रशासन ने इसे पूरी तरह झूठा, भ्रामक और तथ्यहीन बताया है।


क्या था वायरल दावा?

पिछले दिनों कुछ मीडिया पोर्टलों और सोशल मीडिया पोस्ट में यह सनसनीखेज दावा किया गया कि “टांडा अस्पताल ने मरीज मिलाप चंद को मृत घोषित कर दिया, लेकिन घर पहुंचते ही वह जिंदा हो गया।”
अस्पताल का कहना है कि इस खबर का सत्य से कोई भी संबंध नहीं है।


अस्पताल का स्पष्टीकरण – मरीज जीवित था, परिजन खुद ले गए घर

टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया:

  • मरीज मिलाप चंद को उसके परिजन स्वयं अस्पताल लेकर आए थे।

  • कुछ समय बाद परिजनों ने चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे मरीज को स्वेच्छा से घर ले जाना चाहते हैं।

  • जिस समय परिजन मरीज को लेकर गए, वह पूरी तरह जीवित था।

  • अस्पताल ने न तो मरीज को मृत घोषित किया और न ही कोई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया।

अस्पताल ने कहा कि बिना तथ्य जांचे ऐसी खबरें प्रकाशित करना गैरजिम्मेदाराना है।


“बिना पुष्टि खबर चलाना संस्थान की छवि को नुकसान” – प्रशासन

कॉलेज प्रशासन ने मीडिया की भूमिका पर चिंता जताते हुए कहा:

  • किसी भी मीडिया हाउस ने खबर छापने से पहले प्रशासन से एक बार भी संपर्क नहीं किया।

  • झूठी खबरों से अस्पताल, डॉक्टरों, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ का मनोबल गिरता है।

  • इस तरह की भ्रामक रिपोर्टिंग से मरीजों के परिजन भी मानसिक आघात झेलते हैं।

प्रशासन ने सभी मीडिया संस्थानों से अपील की है कि भविष्य में ऐसी संवेदनशील खबरें प्रकाशित करने से पहले तथ्यात्मक जांच और अस्पताल से पुष्टि अवश्य करें।


निष्कर्ष

टांडा मेडिकल कॉलेज ने मामले को स्पष्ट करते हुए कहा है कि मरीज की मौत संबंधी सभी वायरल खबरें झूठी हैं। यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि स्वास्थ्य से जुड़ी सूचनाओं में गलत रिपोर्टिंग न केवल संस्थान की साख को प्रभावित करती है, बल्कि समाज में अनावश्यक भय भी पैदा करती है।

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