महर्षि वाल्मीकि जयंती पर बोले आर.एस. बाली — उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
कांगड़ा में बाल्मीकि सभा द्वारा आयोजित वाल्मीकि जयंती उत्सव में आर.एस. बाली और यादविंद्र गोमा ने कहा — महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएं आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक हैं।
सुमन महाशा। कांगड़ा।
कांगड़ा में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर शुक्रवार रात्रि को आयोजित वाल्मीकि उत्सव कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के आयुष, युवा सेवाएं एवं खेल तथा कानून मंत्री यादविंद्र गोमा और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आर.एस. बाली ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
कार्यक्रम का आयोजन कांगड़ा बाल्मीकि सभा द्वारा किया गया, जिसमें एचआरटीसी उपाध्यक्ष अजय वर्मा विशेष अतिथि रहे।
🌼 सामाजिक एकता और समानता के प्रतीक — महर्षि वाल्मीकि
मुख्य अतिथियों ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि वाल्मीकि केवल एक कवि या ऋषि नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक समानता और मानवीय एकता के प्रतीक थे।
उन्होंने कहा कि —
“महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएं और उपदेश आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन काल में थे। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में प्रेम, सद्भाव और भाईचारा फैलाना चाहिए।”
दोनों नेताओं ने कहा कि संत और महापुरुष किसी एक समाज या जाति के नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के मार्गदर्शक होते हैं।
🕉️ समाज सुधार और आध्यात्मिक संदेश का परिचायक उत्सव
कार्यक्रम में बाल्मीकि सभा के सदस्यों ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में विख्यात गायक सतविंदर बडाली और कुमार साहिल ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को भक्ति और उत्साह से भर दिया।
आर.एस. बाली ने सभा की ओर से रखी गई बाल्मीकि मंदिर भवन निर्माण की मांग को स्वीकृति देने की घोषणा की।
💬 सरकार सबके विकास के लिए कृतसंकल्प — यादविंद्र गोमा
मंत्री यादविंद्र गोमा ने कहा कि प्रदेश सरकार हर वर्ग के कल्याण के लिए संकल्पबद्ध है।
उन्होंने बताया कि पिछड़े और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को सरकार का हर संभव सहयोग मिलता रहेगा।
📸 कार्यक्रम में उपस्थित रहे
आयुष, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री यादविंद्र गोमा, पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आर.एस. बाली, पूर्व विधायक चौधरी सुरिंदर काकू, एचआरटीसी उपाध्यक्ष अजय वर्मा, एसडीएम इशांत जसवाल, और बाल्मीकि सभा कांगड़ा के पदाधिकारी व सैकड़ों श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित रहे।
✍️ निष्कर्ष
महर्षि वाल्मीकि जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल भक्ति और सांस्कृतिक एकता का उत्सव था, बल्कि समाज में समानता, प्रेम और नैतिकता के संदेश को जीवित रखने का प्रयास भी।
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