ई-टैक्सी योजना से युवाओं को रोजगार, पर्यावरण को सहारा
हिमाचल की ई-टैक्सी योजना युवाओं को स्वरोजगार और निश्चित आय का अवसर दे रही है। 50% सब्सिडी व सरकारी विभागों से जुड़कर हरित विकास को बढ़ावा।
मुनीश धीमान। धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वरोजगार और पर्यावरण संरक्षण को जोड़ते हुए राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के अंतर्गत ई-टैक्सी योजना शुरू की है। यह पहल बेरोजगार युवाओं को स्थिर रोजगार देने के साथ-साथ राज्य को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हरित विकास की दिशा में आगे बढ़ा रही है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
-
टैक्सी खरीदने पर 50% तक सब्सिडी।
-
लगभग 40% राशि बैंक लोन के रूप में उपलब्ध।
-
लाभार्थी को सिर्फ 10% स्वयं निवेश करना होता है।
-
टैक्सी को सरकारी विभागों के साथ अटैच किया जाता है।
-
औसतन ₹50,000–₹60,000 प्रतिमाह निश्चित आय।
क्षेत्रीय रोजगार अधिकारी अक्षय कुमार के अनुसार, कम परिचालन लागत और प्रदूषण-रहित संचालन के कारण ई-टैक्सी लाभदायक साबित हो रही है। अब तक जिले में 6 युवाओं को ई-टैक्सी मिल चुकी है।
लाभार्थियों की कहानियाँ
-
अमन कुमार (देहरा): ₹11.50 लाख की टैक्सी पर ₹5.57 लाख सब्सिडी मिली। वाहन BDO बडोह कार्यालय से अटैच है और प्रतिमाह ₹50,000 की आय हो रही है।
-
राकेश कुमार (नूरपुर): ₹13.50 लाख की टैक्सी पर ₹6.50 लाख सब्सिडी मिली। टैक्सी जल शक्ति विभाग नूरपुर से जुड़ी है और प्रतिमाह ₹50,000 की कमाई हो रही है।
-
सुमित कुमार (पालमपुर): उनकी ई-टैक्सी एक्साइज कार्यालय पालमपुर से अटैच है और उन्हें हर महीने ₹50,000 की आय मिल रही है।
युवाओं के लिए वरदान, पर्यावरण के लिए राहत
सरकार ने टैक्सियों को 4–5 साल तक सरकारी विभागों के साथ अटैच करने की व्यवस्था की है, जिससे युवाओं को स्थिर आमदनी मिल रही है।
यह योजना न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन है बल्कि प्रदूषण कम करने और हरित विकास को गति देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।
What's Your Reaction?






