प्रदेश की राजनीति में हुआ बड़ा खेल, बागी विधायकों ने सरकार के रवैये को ठहराया जिम्मेदार
हिमाचल की राजनीति के इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ कि सीएम की वर्किंग को सीधे चुनौती दे दी गई हो।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
हिमाचल की राजनीति के इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ कि सीएम की वर्किंग को सीधे चुनौती दे दी गई हो। करीब एक वर्ष पूर्व विधानसभा चुनावों में 68 में से 40 सीटें हासिल करके पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार पर संकट पैदा हो गया है। बागी हुए विधायक सरकार के वर्किंग स्टाइल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और अपनी अनदेखी के आरोप लगा रहे हैं। बागी हुए विधायकों द्वारा हाईकमान को भी शिकायत पत्र लिखे जाने की बात सामने आ रही हैं। ग्राउंड रिपोर्ट देखी जाए, तो इस सारी कहानी की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी, केवल सही समय और मंच का इंतजार हो रहा था। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की चूक यह मानी जा रही है, कि उन्होंने पार्टी से विधायकों की नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया। खासकर उनके अपने ही जिला के सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के विधायक राजेंद्र राणा और जिला कांगड़ा के धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री के समक्ष डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कई मसले उठाए। उन्होंने लंबे समय से लटकी भर्ती परीक्षाओं का रिजल्ट निकालने समेत पूर्व बीजेपी सरकार में पुलिस कांस्टेबल पेपर लीक मामले में डीजीपी को हटाने की मांग की थी, लेकिन इन सब बातों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। राजेंद्र राणा ने तो कुछ माह पहले सोशल मीडिया पर पांडवों का संदर्भ देते हुए एक लंबी पोस्ट भी लिखी थी, जिसे आम आदमी तक समझने लगा था कि आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति में कोई बेड़ा खेल हो सकता है।
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