करूणामूलक परिवारों को सिर्फ वोट बैंक का जरिया समझा जाता है :अजय कुमार
करुणामूलक परिवार अपने हितो की आवाज़ को निरंतर उठाते चला आया है। लेकिन सरकारों के समक्ष यह परिवार केवल चुनावों और वोट बैंक का माध्यम बन कर ही सीमित रह जाते हैं।
ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
करुणामूलक परिवार अपने हितो की आवाज़ को निरंतर उठाते चला आया है। लेकिन सरकारों के समक्ष यह परिवार केवल चुनावों और वोट बैंक का माध्यम बन कर ही सीमित रह जाते हैं। चुनाव चाहे विधानसभा का चुनाव हो या उपचुनाव या फिर हो लोकसभा चुनाव। करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार मीडिया प्रभारी गगन कुमार और सलाहकार शशि पाल का कहना है कि करुणामूलक परिवारों को केवल वोट बैंक का जरिया ही समझा गया। राजनीतिक पार्टियां चुनावों के समय इन परिवारों को लुभाने के लिए आवाज़ तो बनती हैं, लेकिन सता मिलने के बाद करुणामूलक परिवारों की कोई गारंटी नहीं लेता। चुनावों से पहले करूणामूलकों की आवाज बड़े-बड़े जनमंचो और अभिभाषणों में उठाई जाती है कि सरकार बनने के पश्चात उनके लिए ऐसी पॉलिसी लाई जाएगी। जिससे इन परिवारों को बिना शर्त के नौकरियां मिल सके। जैसे ही चुनाव बीत जाते हैं वैसे ही बजट हो या अभिभाषण सरकार भूल जाती है, कि इन करुणामूलक परिवारों का भी कहीं न कहीं सरकार बनाने में योगदान रहा है। प्रदेश सरकार को बने हुए लगभग डेढ़ साल का समय हो गया है।लेकिन इन परिवारों के लिए अभी तक न कोई नीति लाई गई और ना ही इन परिवारों को कोई राहत दी गई। इतना ही नहीं बजट अभिभाषण में करुणामूलक जैसे शब्दों को ही काट दिया गया। इन परिवारों द्वारा सरकार बनने के बाद राजधानी शिमला में होने वाली हर एक कैबिनेट से पहले कई दफा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से शिष्टाचार भेंट हुई और करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए इन परिवारों द्वारा ज्ञापन भी हर बार दिया गया। इन परिवारों ने कई बार मुख्यमंत्री को उनका वायदा याद भी दिलाया कि जब आपकी सरकार विपक्ष में थी तो जोरो -शोरों से हमारे परिवारों का मुद्दा उठाया गया, अब उसे आवाज को धरातल में भी उतारा जाए।
मंगलवार को करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश की बैठक गूगल मीट के माध्यम से संपन्न हुई। यह बैठक प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार की अगुवाई में इस दोरान मीडिया प्रभारी गगन कुमार मुख्य सलाहकार शशि पाल , और आईटी सेल गुलशन कुमार और प्रदेश भर के करुणामूलक मौजूद रहे | करुणामूलक परिवारों का कहना है कि लोकसभा चुनावों से पहले आगामी कैबिनेट में करूणामूलक परिवारों के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा फैसला लिए जाएं।जिससे इन परिवारों इन परिवारों को राहत मिल सके।
इन परिवारों की मांगे कुछ इस प्रकार हैं। आगामी कैबिनेट में पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 5 लाख आय सीमा निर्धारित की जाए जिसमें एक व्यक्ति सालाना आय शर्त को हटाया जाए। वित विभाग के द्वारा रेजेक्टेड केसों को कंसिडेर न करने की नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया जाए| और रेजेक्टेड केसों को दोवारा कंसिडेर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए। जिन विभागों बोडो निगमो और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नही है उन केसों को अन्य विभाग में शिफ्ट करके नोकरियाँ दी जाए। क्लास-C व क्लास-D में कोटे की शर्त को हमेशा के लिए हटा दिया जाए। योग्यता के अनुसार क्लास-c व क्लास-D के सभी श्रेणियों के सभी पदों में नोकरियां दी जाए ताकि एक पद पर बोझ न पड़े। उपरोक्त मांगों के सन्द्रभ में कैबिनेट में मोहर लगाई जाए।
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