किसान आंदोलन से प्रदेश के उद्योगों पर संकट, 13 फरवरी से थमे हुए हैं ट्रैकों के पहिए

किसान आंदोलन हिमाचल के उद्योगों पर भारी पडऩे लगा है। दरअसल किसान आंदोलन ने माल ढुलाई पर खासा असर डाला है।

Feb 16, 2024 - 12:10
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किसान आंदोलन से प्रदेश के उद्योगों पर संकट, 13 फरवरी से थमे हुए हैं ट्रैकों के पहिए

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल

किसान आंदोलन हिमाचल के उद्योगों पर भारी पडऩे लगा है। दरअसल किसान आंदोलन ने माल ढुलाई पर खासा असर डाला है। प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन से बीते तीन दिनों से दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लिए ट्रकों की आवाजाही लगभग ठप है। हालात यह है कि ट्रकों की आवाजाही ठप होने से कच्चे व तैयार माल की आपूर्ति प्रभावित होने लगी है। दिल्ली के लिए रवाना हुए सैकड़ों ट्रक हरियाणा में फंसे हुए है। यही नहीं दिल्ली के लिए ट्रकों की आवाजाही ठप तो हुई है हरियाणा के रास्ते अन्य राज्यों कें लिए जाने वाले ट्रकों को भी रास्ते में रोक दिया गया है। ऐसे हालातों ने ट्रक आपरेटरों के साथ-साथ उद्यमियों की चिंताए भी बढ़ा दी है। बता दें कि नालागढ़ ट्रक आपरेटर यूनियन से रोजाना 250 से ज्यादा ट्रक दिल्ली के लिए रवाना होते है, लेकिन विगत 13 फरवरी से ट्रकों के पहिए थमे हुए है। इस कारण जहां ट्रक यूनियन को रोजाना दस लाख का नुकसान झेलना पड़ रहा है । जानकारी के मुताबिक किसान आंदोलन ने ट्रांसपोर्टरों और उद्योगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। विगत तीन दिनों में करीब एक हजार से ज्यादा ट्रक माल लादकर खड़े हैं, इनमें करोड़ों रुपए का तैयार माल हैं, जो दिल्ली के रास्ते से होते हुए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और कोलकाता सहित अन्य राज्यों के लिए जाना है। किसान आंदोलन ने उन ट्रक मालिकों की समस्या बढ़ा दी है। एशिया की सबसे बड़ी ट्रक यूनियनों में शुमार नालागढ़ ट्रक यूनियन के बेडे में दस हजार ट्रक है, जो कि देश के 25 से ज्यादा राज्यों में उद्योगों से तैयार माल लेकर रवाना होते है।

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