जैसे शरीर को आत्मा से कोई विलग नहीं कर सकता, वैसे ही प्रभु श्री राम को भारत से विलग नहीं किया जा सकता स्वामी हरीशानंद
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में अपने स्थानीय आश्रम में राम चरण सुखदाई भजन प्रभात का आयोजन किया गया।

सुमन महाशा। कांगड़ा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में अपने स्थानीय आश्रम में राम चरण सुखदाई भजन प्रभात का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान की ओर से आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी हरीशानंद ने सभी प्रभु भक्तों को श्री राम मंदिर की बधाई देते हुए बताया कि भगवान राम केवल एक नाम भर नहीं , बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं, मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं| उनसे भारत अर्थ पाता है| वे भारत के प्रतिरूप हैं और भारत उनका | उनमें कोटि-कोटि जन जीवन की सार्थकता पाता है| भारत का कोटि-कोटि जन उनकी आँखों से जग-जीवन को देखता है| उनके दृष्टिकोण से जीवन के संदर्भों, परिप्रेक्ष्यों स्थितियों परिस्थितियों घटनाओं प्रतिघटनाओं का मूल्यांकन व विश्लेषण करता है। भारत से राम और राम से भारत को विलग करने के भले कितने कुचक्र-कलंक रचे जाएँ, भले कितनी विदेशी कुचालें चली जाएं यह संभव हो ही नहीं सकता | क्योंकि राम भारत की आत्मा हैं। राम भारत के पर्याय हैं| राम निर्विकल्प हैं, उनका कोई विकल्प नहीं| जिस प्रकार आत्मा को शरीर से और शरीर को आत्मा से कोई विलग नहीं कर सकता, उसी प्रकार राम को भारत से विलग नहीं किया जा सकता। राम के सुख में भारत के जन-जन का सुख आश्रय पाता है, उनके दुःख में भारत का कोटि-कोटि जन आँसुओं के सागर में डूबने लगता है और वे अश्रु-धार भी ऐसे परम-पुनीत हैं कि तन-मन को निर्मल बना जाते हैं। अश्रुओं की उस निर्मल-अविरल धारा में न कोई ईर्ष्या शेष रहती है, न कोई अहंकार, न कोई लोभ, न कोई मोह, न कोई अपना, न कोई पराया।
कार्यक्रम में महात्मा अश्वनी ने भगवान श्री राम जी को समर्पित भजन गा कर प्रभु भक्तों को नाचने पर मजबूर कर दिया। जय श्री राम के जयघोषों से वातावरण राममय हो गया।
कार्यक्रम के अंत में स्वामी हरीशानंद ने सभी प्रभु भक्तों को अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण की शुभ बेला पर 22 जनवरी को अपने घरों में दीप प्रज्वलित करने का भी आह्वान किया।
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