“कांगड़ा का वह मंदिर, जहां चट्टानों में उकेरी गई है आस्था की कहानी”
कांगड़ा के मसरूर रॉक-कट मंदिर समूह की वास्तुकला अद्भुत है। यहां की चट्टानों में उकेरी गई मूर्तियां और इतिहास देखते ही बनते हैं।

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश की वादियों में छुपा यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि पौराणिक इतिहास और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण भी है। स्थानीय मान्यता है कि इसे स्वयं पांडवों ने बनाया था, इसलिए यहां हर मूर्ति और नक्काशी में इतिहास और विश्वास दोनों झलकते हैं।
📖 पांडवों द्वारा रचना
कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान कांगड़ा घाटी से गुज़रते हुए इस जगह पहुंचे। उन्होंने चट्टानों में खुदाई कर इस मंदिर की नींव रखी। यह वही स्थल है जहां आज भी उनकी साधना और आस्था की झलक दिखाई देती है।
🌿 वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य
मंदिर समूह पूरी तरह से एक विशाल चट्टान से काटा गया है। यहां की मूर्तियां, गुप्त गुंबद और intricate नक्काशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। चारों ओर देवदार और हरे-भरे जंगल इस स्थल की सुंदरता और दिव्यता को बढ़ाते हैं।
🙏 आस्था और मान्यता
स्थानीय लोग मानते हैं कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। विशेष अवसरों पर यहां मेलों और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, जो आस्था और संस्कृति का प्रतीक हैं।
🌟 पर्यटन महत्व
यह मंदिर न केवल धार्मिक पर्यटकों के लिए बल्कि इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। दूर-दूर से लोग यहां आकर पांडवों द्वारा रची गई इस अद्भुत विरासत को देखते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
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