केंद्र सरकार से प्रदेश को नहीं मिली लोन की अनुमति
वित्तीय लड़ाई में केरल के साथ उलझी केंद्र की मोदी सरकार हिमाचल को भूल गई है।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
वित्तीय लड़ाई में केरल के साथ उलझी केंद्र की मोदी सरकार हिमाचल को भूल गई है। ऐसा इसलिए लग रहा है, क्योंकि फरवरी का महीना भी आधा बीत जाने के बाद जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही के लिए हिमाचल को लोन की अनुमति तक नहीं मिली है। पिछले साल जनवरी में 6000 करोड़ की ऑथराइजेशन मिली थी। इसके लिए पूर्व की जयराम सरकार ने आवेदन किया था। इस बार अनुमति लेट होने के कारण मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना जब दिल्ली बात कर आए थे, तो केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हिमाचल से उधारी का कैलेंडर मांगा था। इसके बाद कुछ सर्टिफिकेट मांगे गए, लेकिन लोन की अनुमति नहीं दी। इसके बाद वित्त विभाग के अधिकारी भेजे गए। अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय का तर्क है कि केरल के साथ सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की सुनवाई 13 फरवरी को है और सभी उसी में व्यस्त हैं। 13 फरवरी के बाद अगले सप्ताह में हिमाचल के मामले पर भी फैसला हो जाएगा। इसलिए राज्य के पास अभी इंतजार करने के सिवा कोई चारा नहीं है। 17 फरवरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बजट पेश कर रहे हैं और उम्मीद है कि उससे पहले लोन पर स्थिति साफ हो जाएगी। केरल सरकार वित्तीय मजबूरी के कारण केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई है। केरल ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्य की वित्तीय स्वतंत्रता के लिए कानूनी लड़ाई का रास्ता चुना है। हालांकि केरल की तैयारी वर्ष 2017 से ही थी। उन्होंने अपना एफआरबीएम एक्ट भी उसी अनुसार बनाया है, लेकिन हिमाचल का मामला इससे एकदम अलग है। हिमाचल सामान्य तौर पर एफआरबीएम एक्ट का पालन करता रहा है। इसीलिए हिमाचल को 5000 करोड़ आखिरी तिमाही के लिए लोन चाहिए।
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