राज्यसभा चुनाव में मिला "हार" का घाव अभी भरा भी नहीं, संगठनात्मक गतिविधियां भी हुई शून्य
हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की नींव रखने वाले तीन पिल्लर छिटक चुके हैं। राज्यसभा चुनाव के बाद से संगठनात्मक गतिविधियां भी शून्य हो गई हैं। राजेंद्र राणा भी कार्यकारी अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप चुके हैं।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की नींव रखने वाले तीन पिल्लर छिटक चुके हैं। राज्यसभा चुनाव के बाद से संगठनात्मक गतिविधियां भी शून्य हो गई हैं। राजेंद्र राणा भी कार्यकारी अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप चुके हैं। पिछली गतिविधियों पर गौर करें तो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस हाईकमान ने एक कार्यकारिणी बनाई थी और इसमें चार कार्यकारी अध्यक्ष रणनीतिक तौर पर शामिल किए थे। इनमें हर्ष महाजन और राजेंद्र राणा का नाम शामिल था, जबकि कांगड़ा से पवन काजल और सिरमौर से विनय कुमार को भी कार्यकारी अध्यक्ष की कमान सौंपी थी। विधानसभा चुनाव के बीच हर्ष महाजन और पवन काजल ने कांग्रेस को अलविदा कह कर दोनों नेता भाजपा में शामिल हो गए थे। पवन काजल ने भाजपा की टिकट पर कांगड़ा से विधानसभा चुनाव लड़ा, तो हर्ष महाजन सभी राजनीतिक गतिविधियों को विराम लगाकर चुनाव के दौरान ही किनारे हो गए थे।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के लिए यह तीसरा बड़ा झटका है। अब कांग्रेस संगठन के पास विनय कुमार ही इकलौते कार्यकारी अध्यक्ष बचे हैं। राज्यसभा चुनाव में करारी हार के बाद संगठन के तौर पर भी कांग्रेस उभर नहीं पा रही है। राज्यसभा के इस घटनाक्रम के बाद बीते दस दिनों से कांग्रेस संगठन की कोई बैठक नहीं हुई है। वहीं हाईकमान ने भी किसी नेता को हिमाचल नहीं भेजा है। ऐसे में अब देखना होगा कि हिमाचल कांग्रेस की संगठनात्मक गतिविधियां किस दिशा में जाती हैं।
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