“नग्गर का वह मंदिर, जहां लकड़ी खुद बताती है अपनी रहस्यमयी कहानियां”
कुल्लू घाटी का त्रिपुरा सुंदरी मंदिर अपनी काष्ठकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां देवी की पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

🛕 नग्गर का त्रिपुरा सुंदरी मंदिर – आस्था और कला का संगम
कुल्लू घाटी के नग्गर गांव में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि हिमाचल की प्राचीन काष्ठकला का अद्भुत उदाहरण भी है। यह मंदिर अपने आप में एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है, जो सदियों से पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
🔹 मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग पांच शताब्दी पहले बनाया गया था। स्थानीय कारीगरों ने लकड़ी पर बारीक नक्काशी कर इसे जीवंत रूप दिया। मंदिर की दीवारों और दरवाज़ों पर देवी-देवताओं की आकृतियां आज भी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
🔹 काष्ठकला का अनमोल खजाना
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में उपयोग की गई लकड़ी की नक्काशी हिमाचल की पारंपरिक कारीगरी का उत्कृष्ट उदाहरण है। प्रत्येक दरवाजा, खिड़की और छत पर उकेरे गए डिज़ाइन मंदिर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाते हैं। यहां की हर नक्काशी अपने आप में एक कहानी कहती है।
🔹 देवी त्रिपुरा सुंदरी की आस्था
माना जाता है कि यहां विराजमान देवी त्रिपुरा सुंदरी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साल भर दूर-दराज़ से श्रद्धालु और पर्यटक यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां का शांत वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है।
🔹 मंदिर का वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता
मंदिर के चारों ओर फैली देवदार की हरियाली और पर्वतीय वातावरण इसे और भी दिव्य बना देते हैं। जब हल्की हवा लकड़ी की नक्काशी को छूती है, तो ऐसा लगता है जैसे मंदिर खुद अपनी सदियों पुरानी कहानियां सुनाता हो।
🔹 पर्यटक मार्गदर्शन और यात्रा टिप्स
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आवश्यक समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर
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कैसे पहुंचें: कुल्लू से टैक्सी या लोकल बस द्वारा
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विशेष आकर्षण: नक्काशी, शांत वातावरण, देवी का दर्शन
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ध्यान दें: दर्शन के समय मंदिर की शांति और धार्मिक आस्था का सम्मान करें
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