क्या आपने सुना है ? इस मंदिर में प्रतिमा कभी पसीना, तो कभी आँसू से देती हैं संकेत!
डलहौजी से 38 किमी दूर स्थित भालई माता मंदिर अपने चमत्कारों और रहस्यमयी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। क्या सचमुच प्रतिमा से निकलता है पसीना?

चंबा। डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भालई माता मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने रहस्यमयी चमत्कारों के कारण भी चर्चा में रहता है। माना जाता है कि माता भद्रकाली का यह स्वरूप स्वयंभू रूप से भ्राण नामक स्थान पर प्रकट हुआ था।
🏛️ मंदिर का इतिहास
भालई माता मंदिर का निर्माण चंबा के राजा प्रताप सिंह वर्मन ने करवाया था। यह मंदिर काठकला वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मान्यता है कि जब माता ने यहाँ प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए, तब राजा ने उनके आदेशानुसार मंदिर बनवाया।
🙏 महिलाओं के प्रवेश पर रोचक कथा
कहा जाता है कि 1960 के दशक तक मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। बाद में माता ने अपनी अनन्य भक्त दुर्गा बहन को स्वप्न में आदेश दिया कि सबसे पहले वे दर्शन करेंगी और फिर सभी महिलाएँ भी माता के दरबार में आ सकती हैं। उसी समय से महिलाओं के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए गए।
🔮 चमत्कारी प्रतिमा की कहानी
मंदिर में स्थापित माता की दो फीट ऊँची काले पत्थर की प्रतिमा स्वयं अपने आप में अद्भुत है। लोककथाओं के अनुसार:
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एक बार चोर इस प्रतिमा को चुराकर चौहड़ा नामक स्थान तक ले गए।
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जब भी वे प्रतिमा को आगे लेकर चलते, उनकी आँखें अंधी हो जातीं, और पीछे मुड़ने पर ही वे देख पाते।
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भयभीत होकर उन्होंने प्रतिमा वहीं छोड़ दी। बाद में भक्तों ने उसे विधि-विधान से वापस मंदिर में स्थापित किया।
🌸 प्रतिमा से पसीना निकलना
स्थानीय मान्यता के अनुसार जब माता अपने भक्तों से प्रसन्न होती हैं, तो उनकी प्रतिमा से पसीना निकलता है। इसे शुभ संकेत माना जाता है कि भक्त की मनोकामना पूरी होने वाली है। यह रहस्य आज तक विज्ञान भी स्पष्ट नहीं कर सका है।
🕉️ आस्था और रहस्य का संगम
भालई माता मंदिर में हर साल नवरात्रों पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। हजारों श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर मनोकामनाएँ माँगते हैं। चमत्कारों और कहानियों से घिरा यह स्थान आज भी हिमाचल का एक अनसुलझा रहस्य माना जाता है।
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