पुराना कांगड़ा: श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन अमृतवचन
पुराना कांगड़ा में श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीना ही परम साधना है।

सुमन महाशा। कांगड़ा
श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने श्रोताओं को जीवन की सच्चाई और साधना का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीना ही परम साधना है और मनुष्य जन्म परमात्मा का प्रसाद है।”
अमृतवचन
स्वामी जी ने कहा कि धार्मिक व्यक्ति वह है जो जीवन को उलझाने की चेष्टा नहीं करता, बल्कि जैसा है वैसा ही स्वीकार करता है।
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“किसी भी चीज पर प्रश्न चिन्ह न लगाना धार्मिकता का लक्षण है।”
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“सूरज, चांद, ऋतुएं, सितारे सब व्यवस्थित हैं। यदि कोई उलझा है तो केवल हम स्वयं हैं।”
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“जो जीवन से हताश हो चुके हैं, वे केवल असार जीवन देख रहे हैं, पर श्रीमद भागवत कथा उन्हें दिव्य जीवन का अनुभव कराती है।”
कथा प्रसंग
आज कथा में श्रद्धालुओं ने बड़े भाव से निम्न प्रसंग सुने—
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भगवान विष्णु के 24 अवतार
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ध्रुव जी की तपस्या
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जड़ भरत का प्रसंग
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प्रह्लाद चरित्र
श्रद्धालुओं की उपस्थिति
कथा स्थल पर बड़ी संख्या में भागवत प्रेमी उपस्थित रहे।
मुख्य यजमानों में तृप्ता परवान, अजय परवान, विजय, रमेश असित, अशोक तिवारी, तुलसीराम मालकड, सुदर्शन, पवन वर्मा, सुभाष, रमेश, अश्विनी शर्मा, मुल्क राज, अनिल सत्यम साईं, धीरज परवान, हनी परवान, मनी परवान, विनायक परवान, कंचन सहित पार्षद सुमन वर्मा, सुषमा, मीनू वर्मा, सुमन कौडल और विभिन्न महिला मंडल के कार्यकर्ता शामिल हुए।
निष्कर्ष
स्वामी अतुल कृष्ण महाराज के अमृतवचनों ने श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि जीवन में प्रश्नों को उलझाने की बजाय आनंदपूर्वक जीना ही सच्ची साधना है।
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