सेमीफइनल मुकाबले से पहले रोहित शर्मा की टेंशन कम करने कि कोशिश, सुनील गावस्कर ने दी जरूरी सलाह
सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलों में ज्यादातर कप्तान इस दुविधा में रहते हैं कि टॉस के बाद बैटिंग लेनी चाहिए या गेंदबाजी पहले करनी चाहिए।

ब्यूरो। रोज़ाना हिमाचल
सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलों में ज्यादातर कप्तान इस दुविधा में रहते हैं कि टॉस के बाद बैटिंग लेनी चाहिए या गेंदबाजी पहले करनी चाहिए। लेकिन फिर भी आमतौर पर देखा जाता है कि कप्तान टॉस जीतने के बाद पहले बैटिंग करना पसंद करते हैं। इसकी वजह यह है कि इतने बड़े मुकाबले में रनों का पीछा करना आसान कार्य नहीं होता है।
विश्व कप 2023 के पहले सेमीफाइनल में टीम इंडिया की भिड़ंत न्यूजीलैंड के साथ होनी है। मुंबई के वानखेड़े मैदान के चप्पे -चप्पे से कप्तान रोहित शर्मा काफी अच्छी तरह से वाकिफ हैं, लेकिन टॉस जीतकर पहले क्या चुना जाए यह सवाल उनके दिमाग में भी जरूर घूम रहा होगा। इस बीच, रोहित की उलझन को भारत के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपनी अहम सलाह से कुछ हद तक कम करने का प्रयास किया है।
सुनील गावस्कर ने स्टार स्पोर्ट्स के शो पर बात करते हुए सेमीफाइनल में टॉस जीतने के बाद कप्तान रोहित को पहले बल्लेबाजी करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "अगर आपके पास भारत जैसा बढ़िया बॉलिंग अटैक मौजूद है, तो इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है कि आप पहले बॉलिंग करें या बाद में। जाहिर तौर पर अगर वह दूसरी पारी में गेंदबाजी करेंगे, तो उनको मदद मिलेगी क्योंकि हमने देखा है कि ओस आने की वजह से बॉल विकेटकीपर की तरफ काफी तेजी से जाती है।"
पूर्व बल्लेबाज ने आगे कहा, "ऐसे में इससे भारत के शुरुआती तीन गेंदबाजों को मदद जरूर मिलेगी। इसके साथ ही इससे कुलदीप यादव जैसे स्पिनर को भी मदद मिलेगी। मेरा मानना है कि अगर भारतीय टीम लक्ष्य का बचाव करेगी, तो इससे उनको काफी फायदा होगा, क्योंकि स्कोरबोर्ड का भी दबाव होता है। आप पहले बल्लेबाजी करते हुए भले ही 400 रन नहीं बना पाएंगे, लेकिन 260 या 270 रन के टारगेट से आप न्यूजीलैंड पर दबाव बना पाएंगे।"
गावस्कर ने कहा कि रोहित शर्मा को अपना अटैकिंग गेम सेमीफाइनल में बदलने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता है कि रोहित शर्मा को अपना गेम बदलने की जरूरत है, क्योंकि वह पूरे टूर्नामेंट में इसी तरह से खेलते हुए आए हैं। वह अपने निजी कीर्तिमान या रिकॉर्ड्स को लेकर परेशान नहीं होते हैं। वह टीम को दमदार शुरुआत देने की कोशिश करते हैं, क्योंकि इससे विपक्षी टीम दबाव में आ जाती है और टीम को अगले 40 ओवर के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म मिल जाता है।"
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