पुराना कांगड़ा में श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह, श्रद्धालु झूमे
पुराना कांगड़ा में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह का भव्य आयोजन, श्रद्धालु बैंड-बाजों संग झूमे, कथा में हुई आध्यात्मिक व्याख्या।
सुमन महाशा। कांगड़ा
पुराना कांगड़ा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन का मुख्य आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह रहा। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बैंड-बाजों की धुन पर नाचते-गाते हुए बारात में हिस्सा लिया। बारात कथा स्थल परवान निवास से शुरू होकर लगभग एक किलोमीटर दूर हरिमोहन महाजन के आवास स्थित डीएवी स्कूल तक पहुंची।
कथा के दौरान स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि सन्यास का अर्थ जीवन की अंतर्यात्रा है। सुख बाहरी वस्तुओं, पद-प्रतिष्ठा या धन में नहीं, बल्कि ध्यान और अंतर्मन में है। उन्होंने कहा कि शास्त्र के वचन मनोभंजन के लिए हैं, न कि केवल मनोरंजन के लिए। संसार की इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होतीं, इसलिए सच्चा सुख केवल प्रभु भक्ति और ध्यान में ही है।
उन्होंने बगुले और हंस का उदाहरण देते हुए कहा कि दिखावे का आडंबर भक्तिभाव नहीं है। केवल वही व्यक्ति सच्चा सुख अनुभव कर सकता है, जिसके हृदय में प्रभु का पदार्पण होता है।
शुक्रवार को कथा में भगवान श्रीकृष्ण की गोकुल लीला, पूतना वध, मृदा भक्षण, ऊखल बंधन, माखन चोरी, कालिय नाग मर्दन और गोवर्धन धारण के प्रसंग भी श्रद्धालुओं ने अत्यंत भावुकता और आस्था के साथ सुने।
इस अवसर पर कथा की मुख्य यजमान तृप्ता परवान, अजय परवान, प्रबेश, विजय परवान, नाग मंदिर करियाड़ा के पुजारी कुलदीप गुलेरिया, डॉ अंकज कपूर, नगर पार्षद सुमन वर्मा, सुनील कांत चड्डा, रमेश असित, मनमोहन हरि महाजन, तुलसीराम मालकड़, सुदर्शन, राकेश मेहरा, अश्विनी शर्मा, मुल्खराज, अनिल सहित सैकड़ों भागवत प्रेमी उपस्थित रहे।
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