डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रहे त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ समापन
एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रहे त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हुआ
सुमन महाशा। कांगड़ा
एमसीएम डीएवी कॉलेज कांगड़ा में चल रहे त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हुआ। इस सेमिनार में कमाडेंट, 2nd बटालियन सकोह, धर्मशाला, डॉ कुशाल चंद शर्मा, IPS ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
इस सत्र में पहले वक्ता के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस क्रिमिनोलॉजी विभाग से डॉ विशाल उपस्थित रहे।
डॉ विशाल ने नैनो फासफॉर्स संसलेषण और अनुप्रयोग, नैनो फ़ासफोर्स के एक्स-रे विवर्तन पैट्रन, फोटोलुमिनेशन अध्ययन और फॉरेंसिक साइंस में फिंगर प्रिंट्स के महत्तव के बारे में विस्तार से बताया।
दूसरे वक्ता के रूप में किंग अब्दुल्लाह इंस्टीट्यूट फॉर नैनोटेक्नोलॉजी, किंग जुआद यूनिवर्सिटी सऊदी अरब से प्रो खालिद ने वर्चुअल माध्यम से अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया ।
उन्होंने प्लेस्मोन तथा प्लेस्मोनिक के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि प्लास्मों में प्रकाश को बहुत छोटे आयामों तक सीमित रखने की अद्वितीय क्षमता होती है जो कई नए अनुप्रयोगों को सक्षम कर सकती है।
गौरवलब है कि त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कुल 6 सत्र रहे, जिनमें न केवल भारत बल्कि विश्व के भिन्न-भिन्न उत्कृष्ट संस्थानों से विद्वानों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर मुख्यातिथि ने कहा कि वह डीएवी कॉलेज में आकर बहुत उत्साहित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें ग्रीन एनर्जी का सदुपयोग करके प्रकृति का संरक्षण करना होगा। हम सभी पंचमहाभूतों से बने हैं और इन सभी के संरक्षण से ही हम संरक्षित रह सकते हैं।
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ बलजीत सिंह पटियाल ने विशेष बातचीत में बताया कि इस सेमिनार का थीम "ग्रीन एनर्जी" से संबंधित रखा गया था और इस सेमिनार का उद्देश्य सफल रहा है। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी हमारे कॉलेज में इस तरह के ज्ञान विज्ञान संबंधी सेमिनारों का आयोजन निरंतर किया जाएगा , जिससे विश्व को नई दिशा और नई दशा मिलेगी ।
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