"सफेद संगमरमर, राधा-कृष्ण और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम!"
कांगड़ा जिले के बाबा बड़ोह में स्थित यह संगमरमर से बना मंदिर राधा-कृष्ण और दुर्गा देवी को समर्पित है। 1980 के दशक में निर्मित, यह मंदिर अपनी वास्तुकला और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है।

🕉️ बाबा बड़ोह मंदिर: कांगड़ा का संगमरमर का रत्न
कांगड़ा जिले के शांत और सुरम्य इलाके बाबा बरोह में स्थित बाबा बड़ोह मंदिर भक्ति और वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है। यह मंदिर भगवान राधा-कृष्ण और माता दुर्गा को समर्पित है और अपने सफेद संगमरमर के व्यापक उपयोग के कारण क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया है।
🏛️ संगमरमर में उकेरी गई विरासत
मंदिर की नींव श्री बलीराम शर्मा ने रखी, जो भगवान शिव के भक्त और सरकारी अधिकारी थे। 1980 के दशक में उन्होंने अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इस मंदिर के निर्माण में लगाया।
सफेद संगमरमर में बने राधा-कृष्ण की मूर्तियां मंदिर को एक दिव्य और उज्ज्वल आभा प्रदान करती हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं।
🕯️ बाबा बरोह की कथा
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, मंदिर का नाम संत बाबा बड़ोह के नाम पर पड़ा, कहा जाता है कि उन्होंने इस क्षेत्र में साधना की थी। ऐसा कहा जाता है कि बाबा बड़ोह और बाबा फट्टू को कांगड़ा के स्थानीय शासकों ने अपने मंदिर स्थापित करने में मदद की। इस प्रकार यह स्थान संत की भक्ति और आध्यात्मिक उपस्थिति को समर्पित होकर बाबा बड़ोह के नाम से जाना गया।
🌿 आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
बाबा बड़ोह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां फ्री लंच (लंगर), गौशाला और प्रमुख त्योहारों पर भंडारे आयोजित किए जाते हैं। यह मंदिर सामाजिक सेवा और समुदाय कल्याण में अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
🌄 प्राकृतिक सौंदर्य और वास्तुकला
मंदिर धौलाधर पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है, और आसपास के दृश्य बहुत ही मनोरम हैं। बाबा बड़ोह मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिक शैली का मिश्रण है, दीवारों पर नक्काशी और मूर्तियां इसकी भव्यता को बढ़ाती हैं। शांत वातावरण और वास्तुकला इसे भक्तों और पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है।
📅 त्योहार और उत्सव
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली और बसंत पंचमी के समय मंदिर विशेष रूप से जीवंत हो उठता है। इस दौरान मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यह उत्सव न केवल आध्यात्मिक वातावरण बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करते हैं।
🛤️ बाबा बरोह मंदिर की यात्रा
बाबा बड़ोह मंदिर कांगड़ा से लगभग 23 किमी और धर्मशाला से 52 किमी दूर स्थित है। यहां पहुंचने का रास्ता हिमाचली ग्रामीण इलाके के सुंदर दृश्य पेश करता है, जो मंदिर की यात्रा को और भी यादगार बना देता है।
बाबा बड़ोह मंदिर भक्ति, समाज सेवा और वास्तुकला की मिसाल है। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों या प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा हमेशा संतोषजनक अनुभव देती है।
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