प्रसिद्ध गजलकार मुनीश तन्हा का अकस्मात् निधन
देश भर में प्रसिद्ध गजलकार एवं मशहूर शायर नादौन निवासी मुनीश तन्हा के असमायिक निधन से प्रदेश भर के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

रूहानी नरयाल। नादौन
देश भर में प्रसिद्ध गजलकार एवं मशहूर शायर नादौन निवासी मुनीश तन्हा के असमायिक निधन से प्रदेश भर के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। शहर के वार्ड एक निवासी मनीष तन्हा ने सोमवार देर रात अपने घर पर ही अंतिम सांस ली। वह 55 वर्ष के थे और जल शक्ति विभाग में कार्यरत थे। यह दुखद सूचना मिलते ही मंगलवार सुबह ही काफी संख्या में साहित्यकार एवं शहर वासी उनके घर पहुंच गए। परिजनों ने बताया कि देर रात हृदय घात के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया। तन्हा प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में जाने वाले गजलकार थे वह विदेश में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। देश के कई बड़े शायरों के साथ उन्हें मंच साझा करने का अवसर मिला। अदब की दुनिया में बड़े आदर से उनका नाम लिया जाता था। प्रदेश में भी कई मुशायरों का सफल आयोजन करवाने में उनकी अहम भूमिका रही। वह अपनी बेबाक लेखनी के लिए जाने जाते थे। देशभर की कई प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओं में उनकी लेखन सामग्री छपती रही। उन्हें कई अहम पुरस्कारों से भी नवाजा गया था। नए कवियों को आगे बढ़ाने में भी तन्हा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उर्दू के साथ-साथ पहाड़ी भाषा में भी उनके लेखन की काफी प्रशंसा हुई। पहाड़ी भाषा की उनकी कविता दस मेरे परमेश्वरा एह क्या होआ दा काफी प्रचलित रही। वहीं उन्होंने गजलों के समूह सिसकियां नामक किताब भी लिखी। मंगलवार दोपहर नादौन में सैकड़ो नाम आंखों ने तन्हा को अंतिम विदाई दी। उनके बेटे अंकुश वालिया ने पार्थिव देव को मुखाग्नि दी। वह अपने पीछे पत्नी, बेटी और बेटा छोड़ गए हैं। तन्हा के देहांत पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व विधायक विजय अग्निहोत्री, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बृजमोहन सोनी, यशपाल साहित्य परिषद, रामलीला क्लब, रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन सहित कई विभिन्न सामाजिक संस्थाओं तथा राजनेताओं ने गहरा शोक प्रकट किया है। साहित्यकारों का कहना है कि तन्हा के निधन से साहित्यिक जगत को बड़ी क्षति पहुंची है जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है।
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