श्री शिव महापुराण कथा, भगवान शिव ने तोड़ा भक्त वाणासुर का अहंकार
भगवान अपने भक्तों का अहंकार नहीं रहने देते।

रूहानी नरयाल। नादौन
भगवान अपने भक्तों का अहंकार नहीं रहने देते। यह उपदेश पंडित सुमित शास्त्री ने शिव मंदिर गगडूही के दरीहन गांव में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन दिए। शास्त्री ने वाणासुर की कथा सुनाते हुए कहा कि वह भगवान शिव का परम भक्त था, जिसने कठिन तपस्या कर भगवान से एक हजार भुजाओं का वरदान मांगा। लेकिन अहंकारवश वाणासुर ने भगवान से कहा कि उसकी भुजाएं उसके लिए बोझ बन गई हैं और कोई उसके समान बलशाली नहीं है। वाणासुर के इस अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान नारायण सेना सहित पहुंचे और सुदर्शन चक्र से उसकी भुजाएं काट दीं। अंत में जब केवल चार भुजाएं बचीं, तो वाणासुर अपनी जान बचाकर भाग गया। इस प्रकार भगवान शिव ने अपने भक्त का अहंकार समाप्त किया। इसके बाद शास्त्री ने भगवान शिव के भिक्षुक अवतार, शंखचूड़ व तुलसी, और अंधक दैत्य की कथा भी सुनाई।
इस अवसर पर खेमराज शर्मा, सोनू, सतीश शर्मा, अमरनाथ, निर्मला देवी, कुंती, अंजु, मधु, निशा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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