विधानसभा क्षेत्र विकास में भी पिछड़ा, जन प्रतिनिधि उजाड़ने की ओर: राजेश परियाल
विधानसभा क्षेत्र कांगड़ा के युवा क्लबों के प्रधानों का एक प्रतिनिधि मंडल भाजपा नेता समाजसेवी राजेश परियाल चौधरी से मिला और उन्हें अपनी निकट भविष्य की समस्याओं से अवगत कराया।

सुमन महाशा। कांगड़ा
विधानसभा क्षेत्र कांगड़ा के युवा क्लबों के प्रधानों का एक प्रतिनिधि मंडल भाजपा नेता समाजसेवी राजेश परियाल चौधरी से मिला और उन्हें अपनी निकट भविष्य की समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने राजेश परियाल चौधरी को कहा कि ग्राम पंचायत धमेड़ में एनएचएआई ने जो टोल प्लाजा स्थापित कर दिया है वह अति शीघ्र शुरू होने वाला है जिससे क्षेत्र के लोगों को प्रसिद्ध धार्मिक स्थल नाग मंदिर दरकाटा, मां ज्वाला तथा बगलामुखी मंदिरों की यात्रा करने पर टोल प्लाजा की मार सहनी पड़ेगी तथा लगभग 150 रुपए शुल्क देना पड़ेगा।
विधानसभा क्षेत्र के काफी संख्या में लोग जो उपचार के लिए पीजीआई चंडीगढ़, एम्स बिलासपुर, साइंस सिटी जालंधर, होशियारपुर में उपचार के लिए जाएंगे उन्हें भी इस शुल्क की की मार सहनी पड़ेगी। इस वर्ष भी नाग मंदिर के मेलों में हर वर्ष की तरह कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र से हर रोज 50 से 60 गाड़ियां दर्शनों के लिए जा रही है उन्हें अगले साल से टोल का अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा।
कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के टैक्सी चालकों पर सब्जी मंडी में आने वाले वाहनों पर भी टोल का अतिरिक्त खर्चा बढ़ने जा रहा है। ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ने से महंगाई भी बढ़ेगी। इस पर राजेश परियाल चौधरी ने कहा कि यह टोल प्लाजा कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र में बनाया जाना उचित नहीं था। यहां के जनप्रतिनिधि ने इस मांग को ना तो एनएचएआई के सामने रखा और ना ही विधानसभा में उठाया।
केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बावजूद यहां का जनप्रतिनिधि मामले को समय पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से ना उठा सका और उठाने तब गया जब सब कुछ स्थापित हो गया। एक तरफ विधानसभा क्षेत्र के लोगों को टोल प्लाजा की मार पड़ेगी दूसरी तरफ फोरलेन से लोगों के विस्थापन से कमर टूट गई है। उधर कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण से भारी संख्या में विस्थापन होने को तैयार है, जनता जाए तो जाए कहां, जनता रोए तो किसके पास। सब तरफ से कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र को ही टारगेट किया जा रहा है और जनप्रतिनिधि आंखें मूंद कर बैठा है। अब कांगड़ा की जनता को समझ जाना चाहिए कि कांगड़ा का जन्म प्रतिनिधि उनके हकों की रक्षा नहीं कर पाया।
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