क्या आप जानते हैं बाबा बालक नाथ मंदिर का इतिहास और परंपरा?
हिमाचल के दियोटसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर सदियों से भक्तों का आस्था केंद्र है, जहां हर रविवार लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

🕉️ बाबा बालक नाथ मंदिर – पूरी कहानी
📍 कहां स्थित है
बाबा बालक नाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के धौला कुआं (दियोटसिद्ध) नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर एक गुफा में बना है और इसे शक्तिशाली सिद्धपीठ माना जाता है।
🙏 बाबा बालक नाथ कौन थे?
कथाओं के अनुसार, बाबा बालक नाथ को भगवान शिव के कार्तिकेय अवतार माना जाता है। मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था, तब उनके साथ ही बाबा जी का जन्म हुआ।
इनका बाल रूप सदैव अक्षुण्ण रहता है और इसलिए इन्हें "बालक नाथ" कहा जाता है।
📖 कथा और मान्यताएं
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अमर बालक
बाबा बालक नाथ ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे सदा बालक रूप में ही रहेंगे और भक्तों की मनोकामना पूरी करेंगे। -
माता रत्नो की गोद
कहते हैं कि बाबा जी जब हिमाचल पहुंचे तो एक गरीब महिला रत्नो माता के घर आकर रुके। उन्होंने माता को आशीर्वाद दिया कि उसकी झोली कभी खाली नहीं रहेगी। तभी से लोग उन्हें "रत्नो माता का लाडला" भी कहते हैं। -
देवताओं का आशीर्वाद
लोककथाओं के अनुसार, जब देवताओं ने बाबा से आग्रह किया कि वे भक्तों की भक्ति स्वीकार करें, तब बाबा बालक नाथ ने अपनी गुफा (दियोटसिद्ध) को ही अपना धाम बनाया।
🌸 मंदिर का महत्व
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यहां स्त्रियां गुफा के अंदर प्रवेश नहीं करतीं, केवल बाहर से ही दर्शन करती हैं।
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हर रविवार को यहां भारी संख्या में भक्त आते हैं।
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चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में चैत्र मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं।
✨ श्रद्धालुओं की मान्यता
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भक्त मानते हैं कि जो भी सच्चे मन से बाबा बालक नाथ से प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
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यहां पर विशेष रूप से संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
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लोग यहां घी, चूरमा और मिठाई का भोग लगाते हैं।
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