ऋतिक कंपनी के मजदूरों ने एसजेवीएन प्रबंधन के खिलाफ की हड़ताल
नादौन के धौलासिद्ध में निर्माणाधीन हाइडल प्रोजेक्ट के मजदूरों ने ऋतिक कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने गुरुवार को दो दिन की हड़ताल की शुरुआत की और ऋतिक कंपनी प्रबंधन और एसजेवीएन प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

रूहानी नरयाल । नादौन
नादौन के धौलासिद्ध में निर्माणाधीन हाइडल प्रोजेक्ट के मजदूरों ने ऋतिक कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने गुरुवार को दो दिन की हड़ताल की शुरुआत की और ऋतिक कंपनी प्रबंधन और एसजेवीएन प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान सीटू के राष्ट्रीय सचिव डा कश्मीर सिंह ठाकुर व हिमाचल भवन सड़क निर्माण मजदूर यूनियन के राज्य अध्यक्ष जोगिंदर कुमार, रंजन शर्मा परियोजना इकाई के महासचिव संतोष कुमार इकाई अध्यक्ष नवीन ठाकुर ने संबोधित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला हमीरपुर में एकमात्र हाइडल प्रोजेक्ट में मजदूरों को न्यूनतम वेतन, सैलरी स्लिप, ओवरटाइम, बोनस,आवश्यक सुरक्षा उपकरण, सफाई व पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं आदि और जो भी श्रम कानून के तहत मिलने वाली सुविधाएं हैं वो नहीं दी जा रही हैं और श्रम कानून का धड़ल्ले से मजाक उड़ाया जा रहा है। इससे पहले भी कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने संगठित होकर आंदोलन किया था और श्रम कानून के तहत मिलने वाली सुविधाओं जैसे न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम, हाजरी कार्ड , सैलरी स्लिप, बोनस, छुट्टियों के लाभ, पीने के पानी की सुविधा, शैड, जूते गम बूट व सेफ्टी किट जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर संघर्ष किया था और यूनियन कंपनी प्रबंधन और केंद्रीय श्रम अधिकारी के साथ चंडीगढ़ में संयुक्त रूप पर समझौता हुआ है जिसमें कंपनी ने लिखित तौर पर कहा है कि वह श्रम कानून के दायरे में आने वाली सुविधाओं को मजदूरों को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान जिन लोगों को काम से हटाया गया था उन्हें कंपनी द्वारा काम पर दोबारा नहीं रखा जा रहा है और जो भी लोग प्रभावित हैं जिनकी जमीन इस परियोजना में चली गई है ऐसे प्रभावित लोगों को भी काम पर नहीं रखा जा रहा है इससे स्थानीय लोगों में भी रोष व्याप्त है। परंतु कंपनी प्रबंधन बहुत ही बदमाशी से जंगल राज की तरह काम कर रहा है और इस समझौते को भी लागू नहीं कर रहा है। वैसे तो देश में कानून का शासन है पर कंपनी यहां पर जंगल राज के तहत काम कर रही है और जो मजदूर ठेकेदारों के तहत रखे जा रहे हैं उनको तो जो कानून के तहत मिलने वाले वेतन के आधे से भी कम वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब ठेकेदारों, रित्विक कंपनी प्रबंधन और एसजेवीएन प्रबंधन के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण हो रहा है। यहां मैस में एक तरफ कुछ मजदूरों से 2000 रु तक काटा जाता है व कुछ मजदूरों से 4500 रु काटा जाता है। यह कंपनी इतनी ठंड में भी जब मजदूर काम कर रहे हैं तो जो मजदूरों को शैड दिए गए हैं उनकी छतों से पानी टपक रहा है। कम्पनी ने मजदूरों को मात्र एक-एक कंबल दिया है जिसमें मजदूरों को गुजारा करना पड़ रहा है। कंक्रीट का काम चल रहा है मगर कंक्रीट का काम करने के लिए जूते और महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण तक नहीं दिए गए हैं। यह सब मिलीभगत के कारण हो रहा है। सीटू ने इसका कड़ा विरोध किया है। रित्विक कंपनी प्रबंधन के इस मनवाने रवैया के खिलाफ हड़ताल में निर्माणाधीन परियोजना में कार्यरत सभी 500 से ज्यादा मजदूरों ने भाग लिया और चेतावनी दी कि अगर मजदूरों को केंद्रीय श्रम अधिकारी मध्यस्थता से हुए समझौते को अगर लागू नहीं किया जाता है तो आंदोलन और कड़ा किया जाएगा और कंपनी प्रबंधन नहीं माना तो प्रोजेक्ट में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने से भी मजदूर गुरेज नहीं किया जाएगा।उन्होंने आवाहन किया कि मजदूर आने वाले समय में निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार रहें क्योंकि मजदूर अपनी मेहनत खून पसीने की कमाई को यूं लूटने नहीं देंगे और हड़ताल को कामयाब करके लड़ाई को और तेज करेंगे।
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