सूरज लॉकअप हत्याकांड: आठ को उम्रकैद, दोषी पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी की तैयारी
सूरज लॉकअप हत्याकांड एक विवादास्पद मामला है, जिसमें पुलिस हिरासत में सूरज नामक युवक की मौत हो गई थी।

ब्यूरो। रोजाना हिमाचल
सूरज लॉकअप हत्याकांड एक विवादास्पद मामला है, जिसमें पुलिस हिरासत में सूरज नामक युवक की मौत हो गई थी। यह घटना हिमाचल प्रदेश के कोटखाई इलाके में 2017 में गुड़िया गैंगरेप और हत्या मामले की जांच के दौरान सामने आई थी।
गुड़िया मामले में पुलिस ने सूरज को मुख्य संदिग्ध के रूप में गिरफ्तार किया था। हिरासत के दौरान, पुलिस ने दावा किया कि लॉकअप में सूरज की हत्या उसके सह-आरोपी राजू ने कर दी थी। हालांकि, इस दावे पर सवाल उठाए गए, और मामला जल्द ही संदिग्ध बन गया।
जनता और मीडिया के दबाव में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। जांच में पता चला कि पुलिस ने सूरज को फर्जी तरीके से गिरफ्तार किया था और लॉकअप में उसकी हत्या की थी। सीबीआई ने पाया कि पुलिस अधिकारियों ने वास्तविक दोषियों को बचाने और मामले को दबाने की कोशिश की।सीबीआई की जांच के आधार पर तत्कालीन आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, और अन्य पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया। 18 जनवरी 2025 को सीबीआई कोर्ट ने सभी आठ दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और हिरासत में मौतों को लेकर सवाल खड़े करता है और न्यायिक प्रणाली की सख्ती को दर्शाता है।
सरकार की "ऑपरेशन ऑफ जजमेंट" योजना के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे मामलों में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा में बनाए न रखा जाए। इससे प्रशासनिक व्यवस्था में अनुशासन और न्यायिक प्रणाली पर जनता का विश्वास बहाल होगा।
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